बांदा में 3 इंस्पेक्टर, 1 दरोगा समेत 6 पुलिस वालों पर मुकदमा
बांदा जिले के मर्का थाना क्षेत्र के एक गांव के युवक को थाने मे बंद कर बेरहमी से पीटने वाले 3 आरोपित इंस्पेक्टरों, एक दरोगा समेत 6 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें तत्कालीन एसओजी प्रभारी भी शामिल हैं। अदालत के आदेश पर यह मुकदमा 4 साल बाद बांदा के मर्का थाने में दर्ज हुआ है।
मिली जानकारी के मुताबिक डकैती के खुलासे के लिए हिरासत में लिए गए युवक को पुलिस ने बुरी तरह पीटा था। आरोप है कि पिटाई के दौरान पुलिस ने थर्ड डिग्री दी। इससे पीड़ित युवक की जीभ कटकर गिर गई थी। बाद में उसका गंभीर हालत में इलाज हुआ था। मरका थाना क्षेत्र के मऊ गांव के मजरा कुसुमहिन पुरवा के संतोष गौतम के घर में 23 फरवरी 2021 को डकैती पड़ी थी। खुलासे के लिए तत्कालीन एसओजी प्रभारी आलोक सिंह, आनंद सिंह, बबेरू कोतवाल रामआसरे, मरका थाना के एसआई और दो पुलिसकर्मियों ने गांव के अशोक उर्फ बड़कवा, रज्जन, दीपक, रजवा और सुनील को पूछताछ के लिए उठाया था। आरोप है कि इन लोगों को मरका थाना ले जाकर तीन दिन तक मारपीट की गई। फिर सबूत न मिलने पर छोड़ दिया गया। इसके दो दिन बाद मरका पुलिस ने फिर अशोक उर्फ बड़कवा को थाने बुलाया। वहां लाकअप में बंद करके बेरहमी से पीटा। इतना पीटा कि उसकी जीभ कटकर गिर गई। आरोप है कि पुलिस ने उसे थर्ड डिग्री दी।
जीभ कटने से जब वह बेहोश हो गया तो मरका थाना प्रभारी ने 9 अप्रैल 2021 को अशोक को जिला अस्पताल पहुंचाया। वहां से उसे डॉक्टरों ने कानपुर रेफर कर दिया था। 10 अप्रैल को दोबारा बांदा जिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया। 16 अप्रैल को जिला अस्पताल से छुट्टी कराकर मरका थाना पुलिस उसे उसके घर छोड़ गई। बताते हैं कि पुलिस की दहशत से अशोक इतना डर गया कि इसकी शिकायत तक नहीं कर पाया।
पीड़ित का कहना है कि उसने हिम्मत करके आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मरका थाने में तहरीर दी थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। फिर एसपी, आईजी जोन प्रयागराज, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली, को भी मामले में रजिस्ट्री की। मगर उसे कहीं से कोई न्याय नहीं मिला। आखिर में उसने न्यायालय की शरण ली। सीजेएम न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने सभी आरोपितों के खिलाफ मुकदमा लिखा है। थानाध्यक्ष मरका नरेश प्रजापति का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर बीते सोमवार को मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की विवेचना वह खुद कर रहे हैं।