विश्व रक्तदान दिवस पर रक्तदान कर किशनगंज एसपी सागर कुमार ने लोगों का बढ़ाया हौसला
सिलीगुड़ी: विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर रेडक्रॉस के तत्वाधान में सिलीगुड़ी से 50 किलोमीटर दूर शिविर का आयोजन किया गया। रक्तदान शिविर में पहुंच रक्तदान किया। उनको रक्तदान करते देख लोगों के हैसले बुलंद हो गए। एसपी ने कहा कि रक्तदान चार मरीजों की जान बचाने के साथ खुद के लिए भी फायदेमंद है। इससे पांच बीमारियों की निशुल्क जांच हो जाती है। रक्तदान से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होने से हृदय रोग का खतरा भी कम होता है।इसीलिए यह दिवस मनाने की शुरुआत विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस तथा रेड क्रिसेंट सोसायटीज द्वारा कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिवस पर 14 जून 2004 को पहली बार रक्तदाता दिवस मनाने के साथ हुई थी। 14 जून 1868 को जन्मे कार्ल लैंडस्टीनर ने रक्त संबंधी बेहद महत्वपूर्ण खोजें की थीं, जिनके लिए उन्हें चिकित्सा का नोबल पुरस्कार भी मिला था। इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस की 20वीं वर्षगांठ है और इस विशेष अवसर के लिए ‘दान का जश्न मनाने के 20 साल : धन्यवाद रक्तदाता!’ थीम निर्धारित की गई है। कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक यह थीम निर्धारित करने का उद्देश्य यही है कि उन लाखों स्वैच्छिक रक्तदाताओं को धन्यवाद दिया जाए और उनका सम्मान किया जाए, जिन्होंने दुनियाभर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में योगदान दिया है। एक समय था, जब किसी को पता ही नहीं था कि किसी दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर किसी मरीज का जीवन बचाया जा सकता है। रक्त के अभाव में तब असमय होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था किंतु अब स्थिति बिल्कुल अलग है। हालांकि फिर भी विडम्बना ही है कि रक्तदान के महत्व को जानते-समझते हुए भी रक्त के अभाव में दुनियाभर में आज भी प्रतिवर्ष लाखों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं। भारत में भी हर साल रक्त की कमी के कारण बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। देश में प्रतिवर्ष करीब डेढ़ करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है लेकिन करीब चालीस लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है। देश की कुल आबादी के लिहाज से देखें और यह मानकर चलें कि एक व्यक्ति साल में केवल एक बार ही रक्तदान करता है तो भी इसका अर्थ है कि आधा फीसदी से भी कम लोग ही रक्तदान करते हैं। हालांकि एड्स, मलेरिया, हेपेटाइटिस, अनियंत्रित मधुमेह, किडनी संबंधी रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप, टीबी, डिप्थीरिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, एलर्जी, पीलिया जैसी बीमारी के मरीजों को रक्तदान से बचना चाहिए। माहवारी के दौरान या गर्भवती अथवा स्तनपान कराने वाली महिलाएं भी रक्तदान करने से बचें। यदि किसी को टाइफाइड हुआ हो और ठीक हुए महीना भर ही हुआ हो, चंद दिनों पहले गर्भपात हुआ हो, तीन साल के भीतर मलेरिया हुआ हो, पिछले छह महीनों में किसी बीमारी से बचने के लिए कोई वैक्सीन लगवाई हो, आयु 18 से कम या 65 साल से ज्यादा हो तो भी रक्तदान न करें।
कौन कर सकता है ब्लड डोनेट? जिस व्यक्ति को खून से संबंधित कोई बीमारी न हो और वो क्रोनिक डिजीज से भी पीड़ित न हो, स्वस्थ हो, ऐसा कोई भी व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है.लगातार ब्लड चेकअप कराने से ये पता लगाया जा सकता है कि कोई शख्स ब्लड डोनेट करने के लिए पात्र है या नहीं। जो लोग स्वस्थ होते हैं, उन्हें भी डॉक्टर साल में कम से कम एक बार रूटीन ब्लड टेस्ट की सलाह देते हैं. लगातार स्वास्थ्य जांच कराने से बॉडी की कंडीशन और उसमें हो रहे बदला के बारे में पता चल जाता है और इससे कुछ समस्या सामने आने पर समय पर इलाज भी कराना संभव हो जाता है।
किसे नहीं डोनेट करना चाहिए ब्लड?: कुछ लोगों को ऐसी बीमारी होती है जो खून के जरिए फैलती हैं, ऐसे लोगों को ब्लड डोनेट करने से मना किया जाता है. इनमें एचआईवी संक्रमित लोग होते हैं,जिन लोगों को ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो, जिन लोगों को कोई हार्ट प्रॉब्लम हो या हाल में किसी हार्ट सर्जरी से गुजरे हों. इनके अलावा अगर किसी ने हाल ही में टैटू अपने शरीर पर गुदवाया हो, उन्हें खुद ब्लड चढ़ाया गया हो, कैंसर केलिए कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी ली हो, एनीमिया से संक्रमित हो, हाल ही में मलेरिया रहा हो, डेंगूया चिकनगुनिया रहा हो या वो ड्रग्स का सेवन करते हों, ऐसे तमाम लोगों को ब्लड डोनेट करने से मना किया जाता है रक्तदान करना एक सुरक्षित प्रक्रिया है जहां हर डोनरके लिए एक नई सुई का उपयोग किया जाता है और उपयोग के बाद उसे फेंक दिया जाता है। रक्तदान में चार स्टेज होते हैं: रजिस्ट्रेशन, मेडिकल हिस्ट्री की समीक्षा, रक्तदान और जलपान। संक्रमण के रिस्क को कम करने के लिए मेडिकल टीम के लोग सभी आवश्यक सावधानी बरतते हैं। आमतौर पर, लगभग 300 से 400 एमएल खून वापस ले लिया जाता है और आमतौर पर शरीर से निकाले गए रक्त की मात्रा को शरीर में फिर से पूरा करने में 24-48 घंटे लगते हैं। लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) को 4 से 6 सप्ताह के अंदर भर दिया जाता है। अगर आप दोबारा ब्लड डोनेट करना चाहते हैं तो 30 से 40 दिन में कर सकते हैं। रिपोर्ट अशोक झा