इस्लामपुर को केंद्र बना बिहार बंगाल सीमांचल में फैला सोना तस्करी का माया जाल

48 दिनों बाद जमानत पर रिहा किशनगंज सोना तस्कर फिर डीआरआई के निशाने पर

सिलीगुड़ी : सोने जैसा रंग है तेरा…’, ‘सोना कितना सोना है, सोने जैसा तेरा मन…’ सोने के प्रति लोगों का लगाव और आकर्षण कितना ज्यादा है, यह बॉलीवुड के इन दो गानों में स्पष्ट है। दुनियाभर के देशों की करंसी भी सोने के आधार पर ही तय होती है। इन दिनों बंगाल बिहार सीमावर्ती क्षेत्र में सोना तस्करी का बड़ा रैकेट काम कर रहा है। बिहार के किशनगंज से सोना तस्करी मामले में गिरफ्तार दिनेश पारिक और मनोज कुमार सिन्हा को 48 दिनों बाद जमानत मिली है। लेकिन फिर एक बार ये दोनों डीआरआई के शक के दायरे में आ गए है। शक बिहार से सटे इस्लामपुर में सोना की बड़ी सोना की खेप 5किलो 162 ग्राम की सोने की बिस्कुट की बरामदगी के बाद खुलासे होने लगी है। डीआरआई की सिलीगुड़ी यूनिट को पता चला है सीमांचल के किशनगंज और बंगाल के इस्लामपुर, पांजीपारा, दालकोला, रायगंज समेत आसपास के इलाकों में तस्करों द्वारा विदेशी मूल का सोना खपया जाता है। इतना ही नहीं मवेशी तस्करी की आड़ में सोना बांग्लादेश से भेजा जाता है। सोना व्यापारी कुरियर के जरिए पेमेंट करते हैं।
यह है इस्लामपुर का मुख्य अड्डा: सोना के तीन बार के साथ पकड़े गए सूरज शिवाजी पवार ने खुलासा किया कि उन्हें सोना भीम सुभाष विभूते नाम के एक व्यक्ति द्वारा आपूर्ति किया गया था। जिसका घर इस्लामपुर कुंडू स्वीट्स, जीवन मोड़ के पास था। रामकृष्ण पल्ली, इस्लामपुर और उनका व्यावसायिक परिसर मैसर्स डीएस हॉलमार्किंग सेंटर और श्री सिद्धनाथ रजत परीक्षा केंद्र के नाम से भूतल और पहली मंजिल पर, पुराने बस स्टैंड, इस्लामपुर के पास है। यही से बिहार और बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में अमेरिकन और स्वीटजरलैंड मार्का 24 कैरेट सोने के बिस्कुट की तस्करी होती है। इसे बांग्लादेश से मवेशी तस्करी मार्ग रामगंज, चोपड़ा, माटीकुंडा इलाके से लाया जाता है। सूरज शिवाजी पवार, श्री भीमा सुभाष विभुते और श्री प्रविंद कुमार शर्मा का बयान सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 108 के तहत दर्ज किया गया था। सूरज शिवाजी पवार ने खुलासा किया कि उनके पास से जब्त किया गया सोना श्री भीम सुभाष विभुते द्वारा आपूर्ति किया गया था। तामलुक में डिलीवरी के लिए भारतीय मुद्रा के बदले 35,00,000/ जो उसके द्वारा प्राप्त सोने का आंशिक भुगतान था। उसने स्वीकार किया कि वह अपने आर्थिक लाभ के लिए बांग्लादेश से भारत में विदेशी मूल के सोने की तस्करी में शामिल है। श्री भीम सुभाष विभुते ने बांग्लादेश से भारत में विदेशी मूल के सोने की तस्करी में अपनी संलिप्तता भी स्वीकार की और कबूल किया कि श्री सूरज शिवाजी पवार के कब्जे से जब्त किया गया सोना वास्तव में उनके द्वारा भारतीय मुद्रा के बदले में आपूर्ति किया गया था। इसके अलावा, उनके आवास और दुकानों से जब्त किया गया सोना उनके द्वारा खरीदा गया तस्करी का सोना है और आगे के परिवहन के लिए था। उन्होंने यह भी कबूल किया कि उनके आवास और दुकान से जब्त की गई भारतीय मुद्रा तस्करी के सोने की बिक्री से प्राप्त आय थी।दिनांकित पावती के तहत श्री सूरज शिवाजी पवार को सौंप दी गई हैं। देखना यह है कि बरामद चार मोबाइल में मिले नंबरों और पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर किशनगंज कनेक्शन का सच कब और कैसे बाहर निकालता है। रिपोर्ट अशोक झा

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