रेलमंत्री अश्विन वैष्णव बाइक से पहुंचे घटनास्थल

कहा, रेल सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट के बाद कुछ कह पाना संभव

अशोक झा, सिलीगुड़ी: रेलमंत्री अश्विन वैष्णव बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचे है। वह सड़क मार्ग से घटना स्थल पर होंगे रवाना हुए। वहां उनके साथ सांसद राजू बिष्ट भी मौजूद है। घटना स्थल तक चूंकि बड़ी गाड़ी नहीं जा सकती है इसलिए वह वहां मौजूद एक बाइक सवार से हेल्प लेकर घटना स्थल पहुंचे है। वहां जाकर जायजा लेंगे उसके बाद पत्रकारों से बात करेंगे। बताया गया की ट्रेन के आने की सूचना पर रांगापानी लेवल क्रॉसिंग पर गेट बंद कर दिया गया। कोई ट्रेन सिग्नल नहीं था। उसी हालत में एक मालगाड़ी दौड़ रही थी। वह मालगाड़ी थी जो सोमवार की भीषण दुर्घटना में शामिल थी। उस समय कंचनजंगा एक्सप्रेस न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से रवाना हुई और रंगपानी को पार कर निजबारी स्टेशन के पास रुकी। तभी पीछे से मालगाड़ी आई और कंचनजंघा एक्सप्रेस से टकरा गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि मालगाड़ी अचानक तेज आवाज के साथ रुक गयी। घटनास्थल से यात्रियों की चीख-पुकार मच गई। ग्रामीण सबसे पहले दौड़ पड़े। वे बचाव में मदद करने वाले पहले व्यक्ति हैं। यह घटना फांसीदेवा ब्लॉक के रूहीधासा इलाके में हुई। हादसे के तुरंत बाद रेलवे के वरिष्ठ प्रशासन के अधिकारी एक-एक कर मौके पर पहुंचे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घटनास्थल पर आएंगी। रेल मंत्री का भी आने का कार्यक्रम है। हालांकि, ये साफ है कि ये हादसा कोई साधारण हादसा नहीं है।।स्थानीय लोगों के मुताबिक, दिन के उजाले में जब मालगाड़ी रंगपानी स्टेशन से गुजरी तो वहां कोई ट्रेन सिग्नल नहीं था। यह भी सवाल उठने लगे हैं कि बिना सिग्नल के ट्रेन कैसे चल पड़ी। साथ ही रेलवे विभाग ने यह भी कहा कि घटना की जांच शुरू हो गई है। हादसा कैसे हुआ, इसकी भी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। फिर जांच होगी। इस बात को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि क्या रेलवे विभाग की तरफ से कोई लापरवाही हुई है। हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों की संख्या सौ से ज्यादा है।ट्रेन हादसे के बाद से ही चारों ओर भारतीय रेलवे के कवच सिस्टम को लेकर बातें हो रही है।दरअसल कवच सिस्टम एक प्रणाली है जो की रेल हादसों को रोकती है। लेकिन पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे में कवच सिस्टम रोकने में नाकाम रहा। आखिर क्या होता है यह कवच सिस्टम कैसे करता है काम और जलपाईगुड़ी में हुए ट्रेन हादसे को क्यों नहीं रोक पाया. चलिए जानते हैं।
क्या होता है कवच सिस्टम?: भारतीय रेलवे द्वारा रेल हादसों को रोकने के लिए रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम बनाया. जिसे कवच सिस्टम का नाम दिया गया. साल 2012 में इस कवच सिस्टम पर काम करना शुरू किया गया. वहीं साल 2016 में इसका पहला ट्रायल किया गया. पूरे भारत में इंस्टॉल करने का प्लानिंग की जा रही है।
कवच सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का सेट होता है. जो ट्रेन हादसों को रोकता है. इसमें ट्रेन, रेलवे ट्रैक, रेलवे सिग्नल सिस्टम और हर स्टेशन पर एक किलोमीटर के डिस्टेंस पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन डिवाइसेज इंस्टॉल की जाती है. सिस्टम में मौजूद सभी चीज अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी के जरिए काम करती है। कैसे काम करता है कवच?: ट्रेन में कोई ड्राइवर अगर किसी सिग्नल को तोड़कर आगे निकल जाता है. तो उसके बाद ऑटोमेटेकली कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. कवच सिस्टम एक्टिवेट होने के तुरंत बाद ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचा देता है. इसके बाद कवच सिस्टम खुद ही ट्रेन के ब्रेक्स पर कंट्रोल कर लेता है. इस दौरान अगर कवच सिस्टम को यह पता चल जाता है कि सामने के ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है। तो वह खुद ब खुद ही पहली ट्रेन को रोक देता है. अगर आसान शब्दों में आपको समझाएं तो भारतीय रेलवे के किसी एक ट्रैक पर एक ही समय अगर दो ट्रेन आ रही है तो कवच सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है. और दोनों ट्रेनों को एक दूसरे से टकराने से रोक देता है।जलपाईगुड़ी में क्यों काम नहीं आया कवच?: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुए रेल हादसे के बाद कई लोगों का यह सवाल है कि भारतीय रेलवे द्वारा तैयार किया गया ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटक्शन सिस्टम यानी कवच सिस्टम जो रेल हादसे रोकता है. वह जलपाईगुड़ी में काम क्यों नहीं आया. तो बता दें साल 2020 में कवच सिस्टम को ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन के रूप में लगाना शुरू किया गया है। फिलहाल भारत के कई रेलवे रूट कवच सिस्टम को इंस्टॉल नहीं किया गया है. जलपाईगुड़ी के रूट पर भी कर सिस्टम इंस्टॉल नहीं है. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार कवच सिस्टम को फिलहाल दक्षिण मध्य रेलवे में 1465 किलो मीटर के रूट पर औऱ 139 इंजनों में इंस्टाॅल किया गया है।

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