शीशा के घर में रहने वाले दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारते : राजू बिष्ट

रेल दुर्घटना और रेलमंत्री के त्यागपत्र पर विपक्ष को भाजपा ने दिया जवाब

सिलीगुड़ी: रंगापानी रेल दुर्घटना को लेकर विपक्ष केंद्र सरकार और भाजपा पर हमलावर है।रेलमंत्री का त्यागपत्र मांगा जा रहा है। कांग्रेस की कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कुर्सी की पेटी बांध लीजिए, क्योंकि इस बार सदन का तापमान जबरदस्त बढ़ने वाला है। कांग्रेस ने केंद्र से प्रश्न किया कि देश में लगातार रेल हादसे हो रहे हैं। विपक्ष के सभी सवालों पर भाजपा प्रवक्ता राजू बिष्ट ने कहा की जो शीशे के घर में होते है उन्हें दूसरे के घरों पर पत्थर नहीं मारने चाहिए। किसी प्रकार के बयान से पहले अपने अतीत को खंगाल लेना चाहिए। कहा की आंकड़े झूठ नहीं हो सकते है।
इसके बाद में रेलवे की सुरक्षा को लेकर क्या बदलाव किए गए हैं? वर्ष 2014 से 2023 तक 1,017 रेल दुर्घटनाएं हुई हैं। हर महीने 11 रेल दुर्घटनाएं और हर तीसरे दिन एक रेल दुर्घटना हुई हैं। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया ने कहा कि रेल, सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं है। जो देश के रेल मंत्री हैं, वहीं आईटी और इलेक्ट्रॉनिक के भी मंत्री बने हुए हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्री भी वहीं हैं। महाराष्ट्र के प्रभारी भी बने हुए हैं। इसका मतलब यही है कि रेलवे सरकार की प्राथमिकता में ही नहीं है। कंचनजंगा एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह दुर्घटनाएं केंद्र सरकार की रेल के प्रति जवाबदेही और लोगों की सुरक्षा के प्रति सरकार के रवैए को दिखाती है। विपक्ष की ओर से इस बात का दावा किया जा रहा है कि मौजूदा सरकार में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, रेलवे के सूत्रों ने डेटा जारी कर के विपक्ष के दावों को गलत बताया है। हाल की रेल दुर्घटना ने इस बहस को फिर से छेड़ दिया है कि क्या 2014 के बाद से एनडीए सरकार ने रेलवे का प्रबंधन 2004-2014 की यूपीए सरकार से बेहतर किया है। आंकड़ों के मुताबिक, 2004 से 2014 तक कुल 1,711 रेल दुर्घटनाएं हुईं। इसके विपरीत 2014 से मार्च 2023 तक, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के शासन में 638 ट्रेन हादसे हुए। UPA के कार्यकाल में ट्रेन दुर्घटनाओं में 2,453 लोगों की जान गई और 4,486 लोग घायल हुए, जबकि NDA के कार्यकाल में 781 मौतें और 1,543 लोग घायल हुए। UPA के कार्यकाल में 2004-2014 के बीच 867 ट्रेन के पटरी से उतरने के मामले दर्ज किए गए, जबकि NDA के कार्यकाल में 2014-2023 के बीच 426 ऐसी घटनाएं हुईं। UPA के शासन में प्रति वर्ष ट्रेन के पटरी से उतरने की औसत संख्या 86.7 थी। NDA के शासन में 2014 से 2023 के बीच यह संख्या घटकर 47.3 प्रति वर्ष रह गई। आकंड़ों के अनुसार, 2004 से 2014 के बीच औसतन प्रति वर्ष 171 रेल दुर्घटनाएं हुईं। 2014 से 2023 तक यह आंकड़ा घटकर 71 प्रति वर्ष रह गया। उल्लेखनीय रूप से परिणामी रेल दुर्घटनाओं की संख्या में 2000-01 में 350 से 2022-23 में केवल 36 तक भारी कमी देखी गई। यूपीए काल में प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर पर रेल दुर्घटनाओं की संख्या 2004-05 में 0.29 से घटकर 2013-14 में 0.10 हो गई। एनडीए के तहत यह आंकड़ा 2014-15 में 0.11 से घटकर मार्च 2023 में 0.037 हो गया। वहीं, ट्रैक नवीनीकरण के लिए बजट आवंटन के संदर्भ में वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 23 के बीच एनडीए शासन द्वारा 10,201 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यय किया गया था, जबकि यूपीए शासन के तहत वित्त वर्ष 2005 से वित्त वर्ष 2014 के दौरान 4,702 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। पिछले नौ वर्षों में भारतीय रेलवे ने रेल सुरक्षा के लिए 1,78,012 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें वित्त वर्ष 24 का बजट अनुमान भी शामिल है। औसत वार्षिक व्यय 17,801 करोड़ रुपये था, जो 2014 से पहले सुरक्षा व्यय की तुलना में 2.5 गुना अधिक है। रिपोर्ट अशोक झा

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