यूक्रेन में लड़ाई लड़ रहे 15 गैर रूसी में मात्र जीवित बचे है दो, कलिंपोंग के उर्गेन तमांग के वीडियो से हुआ खुलासा

अशोक झा, सिलीगुड़ी: यूक्रेन के साथ युद्ध में रूसी सेना के लिए लड़ने वाले एक भारतीय व्यक्ति ने एक वीडियो मैसेज भेजा। इस मैसेज में उसने कहा कि उसकी टुकड़ी में 15 गैर-रूसियों में से अब केवल दो ही जीवित हैं।उसने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हालिया मुलाकात के बाद युद्ध के दौरान अन्य भारतीय घर लौटने में कामयाब होंगे। उत्तर बंगाल के कलिम्पोंग के 47 वर्षीय उर्गेन तमांग पिछले छह महीने से रूसी सेना में हैं। बताया था कि उर्गेन तमांग को उन एजेंटों ने धोखा दिया था जिन्होंने उसे रूस में सुरक्षा गार्ड की नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन उसे यूक्रेन के साथ लड़ाई में भेज दिया गया। उर्गेन तमांग को वापस लाने के लिए उसके परिवार ने मदद के लिए कालिम्पोंग नगर पालिका के प्रशासक बोर्ड के अध्यक्ष रबी प्रधान से संपर्क किया। इसके बाद रबी प्रधान ने उर्गेन के परिवार की ओर से विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और जवाब मिला कि मामला आवश्यक सहायता के लिए मास्को में भारतीय दूतावास के साथ उठाया गया था। कालिम्पोंग से बात करते हुए रबी प्रधान ने कहा कि वह व्हाट्सएप के जरिए उर्गेन तमांग के साथ लगातार संपर्क में थे। उन्होंने कहा, “उर्गेन को वहां पहुंचे छह महीने हो गए हैं। हमें और उसके परिवार को यकीन नहीं है कि वह जीवित वापस आएगा या नहीं। उन्होंने कहा कि 15 गैर-रूसी लड़ाकों में से 13 युद्ध में मारे गए हैं। केवल उर्गेन और श्रीलंका का एक व्यक्ति अभी भी जीवित हैं। उन्होंने कल रात मुझे एक वीडियो संदेश भेजा। भेजे गए वीडियो संदेश में उर्गेन ने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल भारत से उर्गेन तमांग हूं। मार्च से मैं रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ हूं। यहां 15 गैर-रूसी थे, लेकिन 13 मारे गए हैं। केवल हम दोनों, मैं और श्रीलंका का एक व्यक्ति जीवित हैं। मैं कलिम्पोंग नगर पालिका अध्यक्ष के संपर्क में हूं। उन्होंने मुझे बताया कि मोदी रूस में थे और उनकी रूसी राष्ट्रपति से बात हुई है। मुझे खुशी है कि मैं जीवित हूं और मैं अपने देश वापस आना चाहता हूं। मैं अधिकारियों से अपील करता हूं कि कृपया मुझे और अन्य भारतीयों को रिहा कर दें। जय हिंद, जय भारत।”रबी प्रधान के साथ पहले की बातचीत में उर्गेन ने अपनी दुर्दशा पर बात की थी। उर्गेन ने प्रधान से कहा था, “मैं ठीक हूं। मैंने वह न्यूज देखा जो आप लोगों ने मुझे भेजा था। धन्यवाद देखते हैं आगे क्या होता है, भाग्य ने मेरे लिए क्या योजना बनाई है। मुझे यकीन नहीं है कि मेरा नाम निकासी के लिए शामिल किया जाएगा या नहीं। हालांकि मोदी जी ने हमारी स्थिति के बारे में बात की है, हम पता नहीं रूसी सरकार क्या कदम उठाएगी। हमारे नाम शामिल होंगे या नही। आप लोगों को जो भी संदेश मिले, कृपया मुझे जरूर भेजें।”।एक बातचीत के दौरान उर्गेन ने अपने आर्मी कैंप के बारे में बताया। उन्होंने बताया, “फिलहाल हमें अगले 10-12 दिनों के लिए रेस्ट एरिया में लाया गया है, लेकिन रेस्ट एरिया भी जंगल में ही है। लेकिन आसपास दुकानें हैं और हमें शाम को उन दुकानों पर जाने की इजाजत है। कैंप में हमारे पास वाईफाई तो है, लेकिन हमें पासवर्ड नहीं दिया गया है, इसलिए हम कैंप से कॉल नहीं कर सकते। उर्गेन ने रबी प्रधान से यह भी कहा कि जैसा कि उन्होंने सुना है, एक साल का अनुबंध पूरा होने के बाद उन्हें जाने की अनुमति दी जाएगी। उर्गेन ने कहा, “मैंने स्वेच्छा से अपना अनुबंध रद्द करने की मांग की, जिस पर उन्होंने कहा कि अनुबंध रद्द नहीं किया जा सकता।” उर्गेन एक पूर्व सैनिक हैं जिन्होंने इसी साल 18 जनवरी को घर छोड़ दिया था। उन्हें एजेंटों द्वारा दिल्ली और फिर रूस ले जाया गया, जिन्होंने उन्हें सुरक्षा गार्ड के रूप में नौकरी देने का वादा किया था। उनकी पत्नी अंबिका ने कहा, ”हमारे दो बच्चे हैं। मैं बस यही चाहती हूं कि मेरे पति जीवित लौट आएं।

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