नोएडा के बिसरख गांव में हुआ रावण की पूजा, नहीं मना विजयदशमी का पर्व
नोएडा के बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में किया गया हैं। माना जाता हैं कि बिसरख गांव में विश्रवा ऋषि के यहां रावण का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि ने गांव में एक अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की, जो आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान हैं। गांव में राम और रावण की पूजा तो की जाती हैं, लेकिन रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता हैं। इस बार भी दशहरे पर गांव में राम और रावण की पूजा की गई। बिसरख गांव के निवासी रिटायर प्रधानार्चा रणवीर भाटी ने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी गांव में राम और रावण की खास पूजा का आयोजन किया गया। दरअसल, दशहरे के दिन पूजा-अर्चना करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु गांव में बने रावण के मंदिर पर आते हैं। उन्होंने बताया कि यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां राम और रावण एक ही जगह पूरे वैभव के साथ विराजमान हैं। –80 साल से नहीं हुई गांव में रामलीला– बिसरख गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता हैं और न ही रावण का पुतला दहन होता हैं। काफी समय पहले गांव में रामलीला का आयोजन किया गया था। उस दौरान गांव में अनहोनी की घटना होने पर रामलीला अधूरी रह गई। अनहोनी के चलते तभी से गांव में रामलीला व पुतले का दहन नहीं किया जाता हैं। –गांव में आज भी निकलते हैं शिवलिंग– बिसरख गांव में एक शिव मंदिर हैं। बताया जाता हैं कि शिव मंदिर में जो अष्टभुजी शिवलिंग हैं, उसकी स्थापना रावण के पिता ने की थी। उस शिवलिंग की गहराई आज तक कोई भी नहीं जान पाया हैं । उसकी खुदाई भी कराई गई, लेकिन कोई छोर नहीं मिला। रावण भी इसी अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा किया करता था। रावण की पूजा से खुश होकर शिव ने उन्हें इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। रणवीर भाटी ने बताया कि गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलते हैं। यहीं वजह हैं कि सालों साल गांव में पूजा अर्चना करने वालों का तांता लगा रहता हैं । –साल में दो बार लगता है मेला– बिसरख गांव में रामलीला न होने की और पुतला न दहन करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मान्यता यह भी हैं कि जो यहां कुछ मांगता है, उसकी मुराद पूरी हो जाती है। इसलिए साल भर देश के कोने-कोने से यहां आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है। साल में दो बार मेला भी लगता है। –इसलिए किया था सीता हरण– बिसरख गांव का एक बड़ा तबका रावण के कारण खुद को गौरवान्वित महसूस करता हैं। उन लोगों का तर्क है कि रावण ने उस जमाने में लंका पर विजय पताका फहराकर राजनैतिक सूझबूझ और पराक्रम का परिचय दिया था। यहां यह माना जाता है कि रावण ने राक्षस जाति का उद्धार करने के लिए सीता का हरण किया था। इसके अलावा दुनिया में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है, जब रावण ने किसी का बुरा किया हो।