फरवरी में दार्जिलिंग समेत अन्य जिला को मिल सकता है टीएमसी का नया अध्यक्ष
नगर निगम बोर्ड में भी फेरबदल संभव, एक और डिप्टी मेयर के साथ कई मेयर परिषद सदस्य पर पर गिर सकती है गाज
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अशोक झा, सिलीगुड़ी: सिक्किम में हो रही बर्फबारी का असर उत्तर बंगाल में तो देखने को मिल ही रहा है। लेकिन जल्द ही सीएम ममता के साथ अभिषेक बनर्जी के साथ चल रहा कोल्ड बार का असर टीएमसी के सांगठनिक ढांचे पर भी दिखाई देगा। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार फरवरी में दार्जिलिंग समेत उत्तर बंगाल के अन्य जिलों में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल सकता है। अभिषेक की खास माने जाने वालों की छुट्टी होना तय है। पार्टी के अंदर सिलीगुड़ी नगर निगम बोर्ड में भी देखने को मिल सकता है। यह जिलाध्यक्ष के बाद होगा। नगर निगम में एक और डिप्टी मेयर के साथ अभिषेक के करीबी मेयर पार्षदों की छुट्टी भी तय है। अभिषेक के बलबूते पर मेयर को भी मीडिया के सामने अनाप शनाप बोलने वाले भी इस लिस्ट में शामिल है। नया जिलाध्यक्ष कौन होगा इसको लेकर पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में चर्चा तेज हो गई है। नगर निगम की ओर से शहर से श्मशान को किसी दूसरी जगह ले जाने की तैयारी की जा रही है। इसको लेकर जल्द ही एक बैठक भी होनी है। ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच कोल्ड वॉर जारी है। जैसे-जैसे यह अंदरुनी मनमुटाव बढ़ रहा है, तृणमूल कांग्रेस में भी इसका असर नजर आ रहा है। यहां तक कि पार्टी टीएमसी नंबर एक और टीएमसी नंबर दो हो गई है। इसका असर जल्द ही दार्जिलिंग जिला समेत अन्य जिलों में अभी से देखने को मिल रहा है। टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री ने कहा, ‘दीदी कुछ विभागों के प्रदर्शन से नाराज थीं। हालांकि, आप देख सकते हैं कि उन्होंने उन मंत्रियों के साथ बहुत अधिक गुस्सा व्यक्त किया जो अभिषेक के करीबी माने जाते हैं। उन्होंने एक विशेष जिला नेता को विशेष प्राथमिकता देने के लिए बीरभूम डीएम को भी फटकार लगाई। बीरभूम में हर कोई जानता है कि अनुब्रत अभिषेक के बहुत करीब है। पार्टी में ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। टीएमसी के अंदरूनी खींचतान का असर पार्टी पर दिखाई दे रहा है। कलाकारों के बहिष्कार और पार्टी नेताओं के बीच मतभेदों ने विवादों को और बढ़ाया है, जिससे टीएमसी में बुआ-भतीजे के बीच खटास स्पष्ट हो गई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। कई महीनों से एक विवाद जारी है, जिसे ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक के सहयोगी पार्टी नेताओं के बीच मतभेद के रूप में पेश किया जा रहा है। इन मतभेदों का कोई अंत नज़र नहीं आ रहा है। हाल की घटनाओं से पता चलता है कि वास्तव में मतभेद और भी गहरे हैं। पहले अभिषेक बनर्जी कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में टीएमसी सरकार के रवैये की आलोचना करने वाले कलाकारों के बहिष्कार के मुद्दे पर पार्टी के कुछ नेताओं से असहमत थे। लेकिन अब ममता बनर्जी ने अपने भतीजे के करीबी माने जाने वाले मंत्रियों की आलोचना की।टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, अभिषेक और उनकी बुआ के बीच जारी तनाव विलंबित संगठनात्मक फेरबदल है।ममता ने अभिषेक के ‘वफादारों’ की खिंचाई की यहां तक कि उन्होंने मंत्रियों ब्रत्य बसु और स्नेहाशीष चक्रवर्ती की आलोचना की। बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट की खिंचाई की। ये अभिषेक बनर्जी के खास माने जाते हैं। अभिषेक के करीबी पार्टी के एक अन्य नेता अनुब्रतम मंडल पिछले सितंबर में जेल से बाहर आए थे और पता चला है कि वह क्षेत्र में फिर से एक्टिव हो गए हैं। पार्टी में ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच आंतरिक संघर्ष के सवाल पर टीएमसी सांसद कुणाल घोष ने कहा, “अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस एक और संयुक्त परिवार है, हमारी सुप्रीमो ममता बनर्जी हैं और अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी हैं, कई वरिष्ठ नेता और कई नए लोग हैं, कम से कम 5 पीढ़ियां टीएमसी में अलग-अलग ब्लॉक और विंग में सक्रिय हैं, हमारा एक संयुक्त परिवार है। जो लोग कहानियां गढ़ रहे हैं, उनका कोई आधार नहीं है। हालांकि भाजपा समेत अन्य विपक्षी पार्टियां इस बात को लेकर खुश है कि टीएमसी की आपसी कलह से पार्टी नेताओं के भ्रष्टाचार का पर्दाफांस खुद के नेता ही करेंगे? क्योंकि राजनीति में हमाम में सभी नंगे है।