26 वर्ष के बाद मिला न्याय हत्या के मामले में दो को सात वर्ष की सजा

26 वर्ष के बाद मिला न्याय हत्या के मामले में दो को सात वर्ष की सजा

उप्र बस्ती अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम सुनील कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने गैर इरादतन हत्या के मामले में दो आरोपितों को सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इस मामले में प्रत्येक पर सात-सात हजार रुपये का ‌अर्थदंड भी लगाया है। इसे अदा न करने पर पांच माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। मामला लालगंज थाना क्षेत्र के पसड़ा गांव का है।सहायक फौजदारी अधिवक्ता जयगोविंद सिंह ने अदालत को बताया कि पसड़ा गांव निवासी महेश पुत्र शिवमूरत ने लालगंज थाने में तहरीर दिया कि 22 अप्रैल 1996 की सुबह साढ़े सात बजे गांव के दयाशंकर, हरि लाल, भऊल व मेही लाल ने दरवाजे की खाली जमीन पर रखी ईंट को हटा दिया और वहां कब्जा करने लगे। जब पिता शिवमूरत ने मना किया तो यह लोग पिता को लाठी डंडे से मार कर घायल कर दिया। बीच बचाव कर ग्रामीणों से स्थिति संभाल ली। उस समय तो यह लोग चले गए मगर रात दस बजे फिर से यही लोग पूरी तैयारी के साथ घर पर चढ़ गए और मौके पर मिले पिता शिवमूरत को दोबारा जमकर मारा।शोर सुनकर गांव के लोग एकत्रित हो गए और बीच बचाव किया। इस घटना में ‌शिवमूरत को गंभीर चोट आई। उन्हें जब तक अस्पताल ले जाते तब तक उनकी मौत हो गई। लालगंज पुलिस ने इस मामले में दयाशंकर, हरिलाल, भऊल व मेंहीलाल के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया था। चारों खिलाफ पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दिया। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक मृतक शिवमूरत के शरीर में सात गंभीर चोट पाई गई। 26 वर्ष तक चले इस मुकदमा के विचारण के दौरान आरोपी भऊल व हरिलाल की मृत्यु हो गई, जबकि अदालत ने दयाशंकर व मेंही लाल को दोषी मनाते हुए सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

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