राजभवन में चल रही कथा में घनानंद महराज ने सुनाई राजा परीक्षित की कथा

राजभवन में चल रही कथा में घनानंद महराज ने सुनाई राजा परीक्षित की कथा

उप्र बस्ती राजभवन में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वृंदावन से आए कथा व्यास घनानंद महराज ने शिव विवाह प्रसंग, कलयुग के शुभारंभ व राजा परीक्षित के मृत्य की कथा सुनाई। कथा व्यास ने कहा कि कलयुग में कलिकाल नहीं चाहता है कि पृथ्वी पर कोई धर्म रहे। राजा परीक्षित से कलयुग ने चार स्थान पर रहने का वचन लिया, जिसमें जुआ खेलना, शराब बेचने की जगह, पराई स्त्री पर कुदृष्टि व प्राणि की हिंसा शामिल है। इन चारों जगहों से कलियुग प्रवेश कर मानव को पाप करने के लिए प्रेरित कर देता है। इससे मुक्ति का मार्ग श्रीमद् भागवत कथा है।

कहा कि राजा परीक्षित के सत्यता के प्रभाव से कलयुग प्रवेश नहीं कर पा रहा था तो उनसे अपने रहने की जगह मांगा। राजा परीक्षित ने अपने सोने के मुकुट में रहने की जगह दी और यहीं से कलयुग का शुभारंभ हो गया। कलयुग के प्रभाव से राजा ने गलती की तो उन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला। फिर मुक्ति पाने के लिए राजा परीक्षित ने श्रीमद्भागवत कथा का सहारा लिया। कथा व्यास ने कहा कि मानव जीवन की चार अवस्था हमें जीवन को शुद्ध व सात्विक बनाने की सीख देती हैं। हम सभी को भगवान की शरण में जाने के लिए आतुर रहना चाहिए। आज की आवश्यकता है कि लोग बनावटी चीजों से दूर रहें। पद प्रतिष्ठा से अभिमान आता है, इससे बचने के लिए भगवान की भजन करें। रसोई में शुद्ध अवस्था में ही भोजन बनाना चाहिए। पाप और पुण्य दोनों धरती पर हैं।

मंच का संचालन पंडित सरोज मिश्रा ने किया। मुख्य यजमान कुंवर कामेश्वर सिंह, राज्यश्री सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, कुंवर अनन्त सिंह अमेठी, महारानी गरिमा सिंह अमेठी, सर्वेश्वर सिंह, पराक्रम सिंह मथुरा, राजा ऐश्वर्य राज सिंह, प्रशांत सिंह, देवांश सिंह, सिद्धांत मिश्रा आदि मौजूद रहे।

 

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