सीमांचल में गोल्ड तस्करी के आड़ में फल फूल रहा जीएसटी चोरी का धंधा
–सोना तस्करी में पकड़े गए किशनगंज मारवाड़ी युवा मंच के अध्यक्ष को कोर्ट से नहीं मिली जमानत
सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी डीआरआई की टीम द्वारा सोना तस्करी में पकड़े गए तीन आरोपियों में किशनगंज बिहार के दो निवासी है। इसमें एक मारवाड़ी युवा मंच का अध्यक्ष दिनेश पारीक है। सोना तस्करी मामले में गुरुवार को ही एक कार (डब्ल्यू बी 74 एएच 4737) से सिलीगुड़ी रुपया लेकर सोना लेने आ रहा हैं। इसके बाद डीआरआई की टीम डिलीवरी के स्थान सिलीगुड़ी के जलपाई मोड़ पर पहुंची। वहीं कार में बैठे किशनगंज के दिनेश पारीक और मनोज सिन्हा को दबोच लिया। कल दोनों की जमानत नहीं मिल पाई थी। आज भी कोर्ट से जमानत नहीं मिल पाई और आरोपितों को 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया। समाज सेवा के लिए चर्चित संस्था मारवाड़ी युवा मंच के पदाधिकारी की गिरफ्तारी सोना तस्करी में होने से संगठन के पदाधिकारी सकते में है।
सोना तस्करी की जांच में हो सकते है बड़े चौकाने वाले खुलासा : मिल रही जानकारी के अनुसार सीमांचल के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, दालकोला, कटिहार, जोकी, फारविसगंज समेत कई क्षेत्रों में कई सराफा दुकानों में बड़े पैमाने पर दो नंबर का सोना खपाया जा रहा है। सोना की खरीदारी के लिए पैसा भी वैसे अधिकारियों का होता है जो नंबर दो के काला धन धन्ना सेठों और कारोबारियों को सौपते है। इसका वैध दस्तावेज सराफा व्यवसायियों के पास नहीं है। सामान्य दिनों में बिना ई- वे बिल के सोने- चांदी को दूसरे प्रदेशों व बड़े शहरों से बेखौफ लाया जाता है।चुनाव के मद्दे नजर पुलिस की सख्ती से अवैध कारोबार पर अंकुश लगा है मगर चुनाव के बाद फिर से इस तरह के कारोबार होने लगेंगे। बिना जीएसटी बिल के सोना खरीदने वालों की तादात भी अधिक है इसलिए इस तरह का अवैध कारोबार फल फूल रहा है।।पहले सोने- चांदी का कारोबार विश्वास की कसौटी पर होता था मगर जीएसटी बिल की अनिवार्यता अब कानूनी पचड़े से बचने के लिए जरूरी हो गया है। मगर सस्ते में सोना – चांदी बेचने की होड़ में सीमांचल के कई सराफा व्यवसायी सोना – चांदी खरीदने पर जीएसटी बिल नहीं देते। कई ग्राहक भी जीएसटी बिल नहीं लेना चाहते इसके पीछे वजह यह है कि काली कमाई का स्रोत उन्हें बताना पड़ेगा इसलिए वे सराफा व्यवसायियों के पास से बिना जीएसटी बिल के सोना चांदी की खरीददारी करते हैं। कई व्यावसायी भी इस तरह का माल बेखौफ खपाते हैं इसलिए उन्हें बिना जीएसटी बिल के सोने-चांदी की बिक्री करने से परहेज नहीं होता। बिना जीएसटी बिल के कई बार ग्राहक धोखा भी खाते हैं। उन्हें पता नहीं होता कि उनके द्वारा खरीदा गया सोना कितना खरा है। सोने-चांदी की शुद्धता की गारंटी नहीं रहती ऐसे में उन्हें पछताना भी पड़ता है। कई बार तो जहां से सोना खरीदी की जाती है उसी व्यवसायी के द्वारा सोना वापस लेने से इंकार कर दिया जाता है। जानकारों के अनुसार सोना भारत में दुबईसे नेपाल होते हुए मुंबई व महानगरों तक बिस्किट की शक्ल में पहुंचता है। इसका कोई बिल भी नहीं होता इसलिए यह सराफा व्यवसायियों को प्रति तोला 8 से 10 हजार रूपए कम कीमत में मिल जाता है। ग्राहकों को प्रति तोला एक – दो हजार छूट देकर वे बिना बिल के सोना खरीदने को तैयार भी कर लेते हैं। इस तरह सोने का अवैध कारोबार जमकर फल फूल रहा है।कार्रवाई से बचने परिवार सहित करते हैं यात्रा: अवैध रूप से सोना -चांदी लाने ले जाने वाले कार में परिवार सहित यात्रा करते हैं ताकि पुलिस को शक न हो कि इनके द्वारा सोने-चांदी का अवैध कारोबार किया जा रहा है। पुलिस भी कई बार परिवार की महिला व बच्चों को देखकर यह समझ जाती है कि पारिवारिक यात्रा है ऐसे में उनकी अधिक तलाशी भी नहीं ली जाती इस तरह वे चकमा देकर बच जाते हैं।
सोना कच्चा इसलिए नहीं देते बिल: कई सराफा व्यापारी जो कच्चा सोना का कारोबार करते हैं वे सादे कागज पर ही बिल देते हैं और बाजार भाव से कम कीमत पर जेवर खपाते हैं। ऐसे में ग्राहकों को पक्का बिल मांगना चाहिए इससे बिल में दुकान का नाम जेवर का वजन, गुणवत्ता, बनाई घिसाई आदि का शुल्क स्पष्ट लिखा होता है। व्यवसायी का जीएसटी नंबर भी बिल में दर्ज होता है जबकि कच्चा बिल वह बिल होता है जो व्यापारी ग्राहक को वह चीज खरीदने पर देता है जिसका हिसाब उसके बही-खातों में दर्ज नहीं होता। इस प्रकार वह आयकर देने और ग्राहक भी जीएसटी देने से बच जाता है। कच्चे बिल में काले धन लेन देन की गुंजाईश अधिक होती है। पक्का बिल सोने-चांदी की खरीददारी का एक अधिकृत रिकार्ड होता है। यह शुद्धता का भरोसा दिलाने के अलावा किसी टेक्स संबंधी पूछताछ में भी ग्राहकों का मदद करता है। कच्चे बिल से बढ़ सकती है परेशानी: अगर कोई ग्राहक सोने-चांदी की खरीदी के बाद जीएसटी बिल न लें तो कई बार वे मुसीबत में पड़ सकते हैं। बरामदगी और तलाशी के दौरान मिलने वाली अघोषित संपत्ति पर जुर्माना सरकार ने लगा दिया है। इसका अर्थ है कि जहां विरासत में मिले उन जेवरों के लिए कोई सीमा-रेखा नहीं है जिनका हिसाब उनके पास है, वहीँ बिना हिसाब वाले जेवरों की सीमा पार होने पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अपने सोने पर अपना कानूनी स्वामित्व साबित करने का पक्की बिल एक अच्छा माध्यम है। प्रमाण न दे पाने की स्थिति में ग्राहकों पर सीमा से अधिक सोना रखने के लिए 60 प्रतिशत तक जुर्माना और साथ ही 25 प्रतिशत का अधिभार लगाया जा सकता है। बिना ई- वे बिल के सोना – चांदी की तस्करी: नियमानुसार 50 हजार या इससे अधिक का सामान किसी एक शहर से दूसरे शहर या अनयंत्र लाया ले जाता है तो ई-वे बिल जरूरी है। मगर बिना ई-वे बिल के जिले में सोने- चांदी की तस्करी बढ़ी है। ई-वे बिल वह बिल है। जिसमें 50 हजार रूपए व अधिक मूल्य के किसी सामान को ले जाने वाले वाहन के प्रभारी व्यक्ति के पास इस बिल का होना जरूरी है। मगर सोना-चांदी की अवैध तस्करी होती है इसलिए ई- वे बिल का उपयोग तस्कर नहीं करते।
सिलीगुड़ी से किशनगंज का क्या है कनेक्शन , यह था पूरा मामला : गिरफ्तार तीन लोगों में एक किशनगंज के मारवाड़ी युवा मंच का अध्यक्ष दिनेश पारीक भी है। दिनेश पारीक लंबे समय से गोल्ड तस्करी करते आ रहा था। गुरुवार को तस्करी का सोना लाने के लिए एक कार से सिलीगुड़ी गया था। इसी दौरान डीआरआई की टीम ने दिनेश पारीक को गिरफ्तार कर लिया।
गोल्ड तस्करी को लेकर टीम को मिली थी सूचना: दरअसल, डीआरआई की टीम को सिलीगुड़ी में गोल्ड तस्करी की सूचना मिली थी. इसके बाद अलग-अलग टीम बनाई गई। टीम तस्करों का इंतजार करने लगी. इसी दौरान सिलीगुड़ी जंक्शन इलाके से बंगाल के कूचबिहार निवासी बिदुभूषण राय नाम के एक व्यक्ति को टीम ने पकड़ा. उसे टीम डीआरआई के स्थानीय कार्यालय कॉलेज पारा डे भवन ले गई। यहां पूछताछ शुरू की गई। उसकी तलाशी ली गई तो कमर में बेल्ट से 12 गोल्ड बिस्किट मिले। वह गोल्ड को छुपा कर कूचबिहार से सिलीगुड़ी ले आया था और किशनगंज के दिनेश पारीक को देना था। पूछताछ में बिदूभूषण ने और दो लोगों के नाम का खुलासा किया। दोनों बिहार के किशनगंज के रहने वाले हैं। बताया कि दोनों गुरुवार को ही एक कार (डब्ल्यू बी 74 एएच 4737) से सिलीगुड़ी रुपया लेकर सोना लेने आ रहा हैं। इसके बाद डीआरआई की टीम डिलीवरी के स्थान सिलीगुड़ी के जलपाई मोड़ पर पहुंची। वहीं कार में बैठे किशनगंज के दिनेश पारीक और मनोज सिन्हा को दबोच लिया। कार की डिक्की में छुपाकर रखे थे लाखों रुपये: कार की तलाशी ली गई तो रुपया बरामद नहीं मिला. गाड़ी के मैकेनिक को बुलाकर बारीकी से जांच कराई गई तो कार में डिक्की के नीचे से 80 लाख 50 हजार रुपये बरामद हुए। इसके बाद टीम ने दिनेश व मनोज को गिरफ्तार कर लिया। सोने की कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक: पूछताछ में कूच बिहार के तस्कर बिदुभूषण ने टीम को बताया कि गोल्ड बिस्किट को बांग्लादेश से तस्करी कर सिलीगुड़ी लाया था. किशनगंज के दोनों तस्करों को रुपया लेकर गोल्ड देना था. गोल्ड का वजन एक किलो 450 ग्राम है. इसका अनुमानित मूल्य एक करोड़ तीन लाख रुपये के आसपास है. डीआरआई एडवोकेट रतन बनिक ने बताया कि गिरफ्तार तीनों तस्करों को कोर्ट में प्रस्तुत किया गया. यहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। रिपोर्ट अशोक झा