सौहार्दपूर्ण व सहयोगात्मक कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की दिशा में बीएचयू ने की महत्वपूर्ण पहल

– विश्वविद्यालय के सदस्यों के अनसुलझे विवादों के समयबद्ध तथा प्रभावी निपटारे हेतु मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति
-प्रो. मधुलिका अग्रवाल को बनाया गया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का प्रथम मध्यस्थता अधिकारी

वाराणसी: भारत सरकार द्वारा उत्कृष्ठता संस्थान का दर्जा प्राप्त काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सुधारात्मक कदमों के माध्यम से अपने शैक्षणिक तथा प्रशासनिक ढांचे को अधिक सक्रिय, प्रभावी, व्यवहारिक तथा प्रतिक्रियात्मक बनाने की कवायद में जुटा है। इन सुधारात्मतक प्रयासों के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक सहयोगात्मक तथा सकारात्मक कार्य वातावरण का होना अत्यंत आवश्यक है। किसी भी संस्थान के सदस्यों के मध्य अनसुलझे व लंबित विवाद सौहार्दपूर्ण व रचनात्मक वातावरण बनाने में बाधा पैदा करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों का आत्मविश्वास, आपसी भरोसा, तथा संस्थान की विश्वसनीयता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होते हैं।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा इस दिशा में एक नई पहल की गई है। कार्य वातावरण में कटुता व असहयोग के मूल कारणों का हल खोजने के उद्देश्य से बीएचयू द्वारा एक मध्यस्थता अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो सदस्यों के मध्य विवादों के न्यायोचित, स्वीकार्य, तर्कसंगत व समयबद्ध समाधान की दिशा में कार्य करेंगे। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने प्रो. मधुलिका अग्रवाल, वनस्पति विज्ञान विभाग, विज्ञान संस्थान, को विश्वविद्यालय की प्रथम मध्यस्थता अधिकारी नियुक्त किया है। विभाग, संकाय अथवा संस्थान के स्तर पर सदस्यों के विवादों का हल न निकल पाने की स्थिति में मध्यस्थता अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी। मध्यस्थता अधिकारी संबंधित सदस्यों के मध्य संवाद के माध्यम से उनकी चिंताओं, विवाद के कारणों आदि पक्षों पर सदस्यों के साथ काम करेंगे तथा संभावित समाधान की संभावनाएं तलाशेंगे। वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पारस्परिक सहमति का समाधान समयबद्ध ढंग से तथा सफलतापूर्वक लागू भी हो।

ऐसे मामलों में जहां पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालना संभव न हो, मध्यस्थता अधिकारी अपनी अनुशंसा के साथ मामले को कुलपति जी को भेजेंगे। कुलपति कार्यालय में सलाहकार ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) नरिन्दर सिंह, मध्यस्थता अधिकारी को सहयोग करेंगे। मध्यस्थता अधिकारी विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ विभिन्न स्तरों पर कार्य करेंगे व नीतिगत तथा प्रक्रियात्मक खामियों की पहचान कर उन्हें दूर करने के तरीके सुझाएंगे, ताकि भविष्य में विवादों की स्थिति से बचा जा सके।

चिकित्सा विज्ञान संस्थान में सदस्यों के मध्य विवादों के निपटारे के लिए संस्थान की मौजूदा व्यवस्था ही प्रभावी रहेगी। इसके अलावा संकाय सदस्यों के सेवा संबंधी मामलों को शिक्षक शिकायत निवारण समिति ही देखेगी।

 

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