नेपाल के जनकपुर धाम से आई शिला शालिग्राम की नहीं बल्कि देव शिला : आचार्य पीठ तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरू परमहंस आचार्य

अयाेध्या। आचार्य पीठ तपस्वी छावनी पीठाधीश्वर जगद्गुरू परमहंस आचार्य ने कहा कि नेपाल के जनकपुर धाम से आई शिला शालिग्राम की नही बल्कि देव शिला है। ऐसा उन्हें सूर्यवंश के कुल गुरू महर्षि वशिष्ठ ने साक्षात प्रगट हाेकर बताया है। इस शिला से भगवान श्रीरामलला सरकार की मूर्ति बन सकती है। अपने आश्रम पर गुरूवार को मीडिया से मुखातिब हाेते हुए परमहंसाचार्य ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की मूर्ति बनने के लिए दाे शिलाएं नेपाल के जनकपुर धाम की काली गंडकी नदी से अयोध्या लाई गई थी, जिससे भगवान रामलला की मूर्ति बनाकर भव्य श्रीराममंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाना है। लेकिन जब मुझे पता चला कि यह शिलाएं शालिग्राम शिला है। ताे इस पर मैंने अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। कहा था कि यदि शालिग्राम शिला पर छीनी-हथाैड़ी चली। ताे महाविनाश हाे जायेगा। क्याेंकि शालिग्राम स्वयं भगवान विष्णु हैं। इसलिए शालिग्राम शिला पर छीनी-हथाैड़ी चलाना महाविनाश काे दावत देना है। इस शिला से भगवान की मूर्ति नही बन सकती है। इसे इसी रूप में पूजा जाए ताे अच्छा हाेगा। उन्होंने कहा जब से मैंने शालिग्राम शिला पर बयान दिया है। तब से प्रतिदिन भाेर में लगभग तीन बजे बजरंगबली मुझे स्वप्न में दर्शन दे रहे हैं। वह कह रहे हैं कि यह शालिग्राम की शिला नही बल्कि देव शिला है। इससे भगवान रामलला की मूर्ति बन सकती है। लेकिन मैंने स्वप्न की बात काे नजर अंदाज किया। उस पर काेई ध्यान नही दिया। किंतु गुरूवार को सुबह पांच बजे एक दिव्य तेजस्वी संत मेरे कमरे में साक्षात प्रगट हुए। उन्होंने अपना दर्शन देते हुए कहा मैं सूर्यवंश का कुल गुरू महर्षि वशिष्ठ हूं। मैंने तुरंत उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने मुझसे कहा यह शालिग्राम शिला नही है। यह देव शिला है इससे श्रीरामलला की मूर्ति बनाई जा सकती है। परमहंस आचार्य ने कहा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस शिला से भगवान श्रीरामलला की मूर्ति बनवा सकता है। मैं देश के सभी भक्ताें से कहना चाहता हूं कि यह शालिग्राम शिला नही, बल्कि देव शिला है। जाे छ: कराेड़ वर्ष पुरानी व पूजित शिला है।

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