ईश्वर भक्ति से सुधरती है सात पीढ़ियां ,कलियुग केवल नाम अधारा देव देव आलसी पुकारा

ईश्वर भक्ति से सुधरती है सात पीढ़ियां ,कलियुग केवल नाम अधारा देव देव आलसी पुकारा

उप्र बस्ती जिले में राजभवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास घनानंद महाराज ने कहा कि इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी के दाता राम हैं। सभी को उनका ही हमेशा स्मरण करना चाहिए। हमे अपने अंदर पाप को नही आने देना चाहिए। शरीर एक नाव है। इस शरीर रूपी नाव में पाप का पानी नहीं आना चाहिए। माया के जाल में अक्सर लोग फंस कर पाप में डूब जाते हैं। कहा विद्यार्थियों को भी अपने अंदर पांच लक्षणो को धारण करना चाहिए।आचार्य सुखदेव महाराज ने 28 नरक के रास्ते बताये हैं।हमे अपने बच्चों का नाम भगवान के नाम पर रखना चाहिए जिससे जब भी हम अपने बच्चों का नाम पुकारें तो इसी बहाने हम ईश्वर को भी याद कर लें। कलियुग केवल नाम अधारा देव देव आलसी पुकारा।भक्त प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति भी हमे शिक्षा देती हैं।ईश्वर भक्ति से सात पीढ़ियां सुधर जाती हैं यदि भक्ति प्रहलाद की तरह हो तो वह 21 पीढ़ियों को तार देती हैं। कहा कि गाय के हर अंग में भगवान का वास होता है। इसलिए गो सेवा सबसे बड़ी सेवा है। गाय की सेवा करना परमकर्तब्य है। बलि ने गौ को आगे करके तीनो लोको को अपने कब्जे में कर लिया। सुबह उठकर सबसे पहले अपने दोनों हाथों को अपने आगे रखकर कर भगवान को याद करना चाहिए फिर धरती माँ को प्रणाम करना चाहिए।

नन्द बाबा के रूप में स्वयं मुख्य यजमान कुँवर कामेश्वर सिंह व माता यशोदा के रूप में कुवरानीराजश्री सिंह रहीं। कथा के मुख्य अतिथि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजा मयंकेश्वर शरण सिंह रहे। मंच का संचालन पंडित सरोज मिश्रा ने किया। मुख्य यजमान कुँवर कामेश्वर सिंह व उनकी धर्मपत्नी राज्यश्री सिंह राघवेंद्र प्रताप सिंह, कुँवर अनन्त सिंह अमेठी, गरिमा सिंह अमेठी, सर्वेश्वर सिंह,आदि मौजूद रहे।

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